Aparna Sharma

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लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -11

#15 पार्ट सीरीज चैलेंज 

 महादेव शिव शंकर की कथाओं में निहित ज्ञान और प्रामाणिकता 

पार्ट -११

*गंगा का अवतरण*

सती के शक्ति पीठ बनवाने के बाद बहुत अधिक टूटे हुए महादेव एक स्थान पर ध्यान तप कर रहे थे, तभी वहां से राजा हिमवान अपने अश्व पर गुजरे ! 
उन्होंने महादेव को देखकर अपना घोड़ा रोका और उतर कर आए ! 
महादेव मुझे आपके बारे में सब कुछ मालूम है! मैं आपके दुख को भली-भांति समझता हूं! 
ये मेरा ही राज्य है, कृपा कर मेरा आतिथ्य स्वीकार करें ! महल में चल कर कुछ दिन रहें ! "
" नहीं,  मुझे अरण्य ही पसंद है। मैं ध्यान और तप करता हूँ! मेरे लिए यह स्थान ही सर्वोत्तम है।"
" आप यदि महल में नहीं रहना चाहते तो मैं आपके लिए  यहीं टैन्ट लगवा देता हूँ! यहीं आपके लिए भोजन भिजवा दूंगा ! " 
" उत्तम है। " 
" किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो बता दिजियेगा! मैं अपनी पुत्री गंगा को आपकी सेवा के लिए रख देता हूँ! " 

हिमवान की बड़ी बेटी गंगा महादेव के बैठने का स्थान साफ़ करती , उनके विश्राम का प्रबंध करती ,भोजन ,पानी वगैरह लेकर आती ! 
महादेव ध्यान में ही बैठे रहते! वह उनके समीप बैठ उनको एकटक देखती रहती ! 
मां मैनावती ने उसे सती के बारे में बताया था और यह भी बनाया था  कि शिव सती से बेइंतहां प्यार करने की वजह से कठोर मानसिक पीड़ा झेल रहे हैं और उसी के ध्यान में रहते हैं!  
गंगा उन्हें देखती और सोचती - इतना प्यार कि संसार को भूल गये? 
वह रोज़ उनके लिए भोजन लाती और तप में लीन होने से घंटों इंतजार करती ! 
इस दौरान वह बैठकर महादेव को देखती रहती!  
इस देखने में कब गंगा अपना दिल महादेव पर हार बैठी उसे खुद पता नहीं चला!

एक दिन महादेव बोले -" अब मुझे यहां से जाना होगा ! " 
गंगा तड़प उठी ! 
उसने अपने दिल की बात माता पिता को बताई ! 

वे गंगा को साथ लेकर महादेव के पास आकर बोले - " हम जानते हैं कि सती की मृत्यु के पश्चात आप भारी शोक में हैं ! 
अब आपको सती को भूलकर नये सिरे से पुन: जीवन शुरू करना चाहिए!  
मेरी पुत्री गंगा आपको बेहद पसंद करती है , वो आपकी जिंदगी में आकर आपकी सेवा करना चाहती है ! आप हां कहें तो गंगा का विवाह आपसे करने में हमें बहुत खुशी होगी! "
" मैं आपकी बात और प्रेम का बहुत आदर करता हूँ परन्तु मैं गंगा से विवाह नहीं कर सकता! " 

हिमवान और मैनावती तो वहां से चले गए पर गंगा अब भी जड़वत खड़ी थी !

" गंगा कुछ कहना चाहती हो? " 
" महादेव मैं आपसे बेहद प्यार करती हूँ! मुझे अपनी अर्धांगिनी बना लें !" 
" गंगा यह संभव नहीं है। "
" आखिर क्यों संभव नहीं है ? क्या मैं सुन्दर नहीं? या आपको पसंद नहीं? "
" ऐसी बात नहीं है ! मैने सती को वचन दिया था कि उसके अलावा किसी से विवाह नहीं करूंगा! " 
" पर सती अब नहीं रही !" 

" गंगा वो आदि शक्ति है और मैने आदि शक्ति को वचन दिया है ! वो पुन: जन्म लेगी , तुम्हारी छोटी बहन के रूप में  ! तब मैं उससे विवाह करूंगा! "

" लेकिन मेरे प्यार का क्या?  मेरे प्यार में क्या कमी है?" 
" कोई नहीं,  मैं तुम्हारे प्रेम का सम्मान करता हूँ! " 
" महादेव मैने आपको पति के रूप में देखा है। " 
" पर गंगा मैं आदि शक्ति के अलावा किसी और से विवाह नहीं कर सकता! " 
" मैं भी आपके अलावा किसी की नहीं हो सकती! " 
" गंगा , आज तुम्हारे सच्चे प्यार और समर्पण को देखकर तुमसे वादा करता हूँ कि आगे जब सही समय आएगा मैं तुम्हें अपनाऊंगा ! 
पर तुम्हें प्रतिक्षा करना पड़ेगी !" 
" मुझे मंजूर है! " 
महादेव वहां से चले गए! 
गंगा भी फिर पृथ्वी पर रह ना सकी , आकाश में 10वे आयाम में चली गई!  
कालांतर में अकाल मृत्यु की वजह से भागीरथ के वंशजों की मृत्युपरांत मुक्ति नहीं हो पा रही थी , तब भागीरथ ने कठोर तप कर ब्रह्मा को प्रसन्न किया और गंगा को पृथ्वी पर उतारने की विनती की ! 
गंगा पृथ्वी पर आने के लिए एक शर्त पर तैयार हुई कि महादेव उसके वेग को अपने में धारण करेंगे!  
महादेव ने स्वीकार किया और ब्रह्म देव ने गंगा को १० वे आयाम से कमंडल में भरकर छोड़ा , नवे आयाम पर नारायण ने  पैरों से उसके वेग को नियंत्रित किया फिर वो बहुत वेग से नीचे आई जहां महादेव ने अपनी जटाओं में उसे समेट लिया और धारा के रूप में हिमालय  से नीचे  छोड़ा ! 
गंगा ने कहा -"  मैं बिना विवाह हर पल आपके साथ रहूंगी तो कलंकित हो जाऊंगी " 
" गंगा मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि तुम सदा परम पवित्र रहोगी और जो तुममे स्नान करेगा उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे ! " 

*ज्ञान* :-  १) वक्त आने पर   धैर्य रखें तो खोया हुआ भी पाया जा  सकता है। 
२) प्यार यदि सच्चा हो तो एक दिन अवश्य प्राप्त होता है। 
३) प्रेम जन्म जन्मांतर का रिश्ता है ये देह का नहीं रूह का रिश्ता है!  
४) इंसान अपने मधुर और अच्छे स्वभाव की वजह से ही प्रेम के काबिल बनता है!  

*प्रामाणिकता* :- गंगा को  नदी के रूप में सभी जानते हैं वो हिमालय , गंगोत्री से होती हुई आगे अनेकों स्थानों पर बहती है!  
गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के दिवस को  *गंगा  दशहरा* के रूप में मनाया जाता है। काशी की गंगा आरती बहुत प्रसिद्द है। 

अपर्णा गौरी शर्मा 

हर हर महादेव 🌊💦

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